बहादुर मनु (Bahadur Manu)(Short Story in Hindi)
एक लड़की थी मनु। वह बहुत निडर और बहादुर थी। बचपन से ही उसे तीर चलाना, घुड़सवारी करना अच्छा लगता था।एक समय की बात है मनु घोड़े की पीठ पर सवार होकर नदी के किनारे सैर कर रही थी। उसके साथ दो बालक भी घुड़सवारी कर रहे थे। शाम का समय था। सूरज भी धीरे-धीरे डूब रहा था। मनु और उसके साथी दोनों बालक भी अपने-अपने घोड़ों को भगाए चले जा रहे थे।
सबसे आगे बड़ा बालक था, उसके पीछे छोटा बालक था और मनु सबसे पीछे थी। उसने अपने घोड़े को एड़ लगाई। बड़े बालक से आगे निकलती हुई मनु ने उससे कहा, “है हिम्मत तो निकलो आगे।" यह कहकर वह आगे निकल गई।
बड़े बालक ने भी अपने घोड़े को एड लगाई। घोड़ा तेज भागा। घोड़ा इतना तेज भागा कि बालक अपने आप को संभाला नहीं पाया। वह घोड़े की पीठ से नीचे गिर गया। घोड़ा बालक को छोड़कर चला गया।
बालक ठोकर खाकर घायल हो गया। उसके सिर से खून बहने लगा। वह चिल्लाया, “मनु, बचाओ!" मनु ने पीछे मुड़कर देखा। वह भाग कर अपने साथी के पास पहुंची। तब तक छोटा बालक भी वहाँ आ गया। सिर से बहते खून को देखकर छोटा बालक भाग गया।
मनु ने घायल बालक को उठाया। उसे घोड़े पर अपने आगे बिठा लिया। उसने दाएँ हाथ से बालक को पकड़ा और बाएँ माल हाथ से घोड़े की लगाम पकड़ी। वह घोड़ा दौड़ाती हुई वापस पहुँच गई। बच्चो! आप जानते हैं, मनु कौन थी? वह झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई थी।